अच्युत मेनोन स्वास्थ्य विज्ञान अध्ययन केंद्र

अच्युत मेनोन स्वास्थ्य विज्ञान अध्ययन केंद्र को स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा सार्वजनिक स्वास्थ्य के उत्कृष्ट केंद्र के रूप में मान्यता प्राप्त है। दो साल के एमपीएच कार्यक्रम के अलावा यह नियमित एवं अंशकालिक पीएचडी की दोनों कार्यक्रम प्रदान करता है। अनुसंधान गतिविधियों में हमारा सहयोग अमरिका के एरिज़ोना विश्वविद्यालय, यूके के एडिनबर्ग विश्वनिद्यालय और जर्मनी के हीडलबर्ग विश्वनविद्यालय जैसे प्रमुख विश्वनिद्यालयों के साथ रहा है।

नियमित गतिविधियाँ

अच्युत मेनोन केंद्र द्वारा एमपीएच प्रशिक्षण के आलाव, नेशनल इस्टीट्यूट ऑफ एपिडेमॉलॉडी, चेन्नई और क्रिश्चयन मेडिकल कॉलज, वेल्लोर के माध्यम से भी एमपीएच कार्यक्रम पेश किया जाता है।

अनुसंधान गतिविधियों मे हमारा सहयोग अमरिका के एरिज़ोना विश्वविद्यलय, ऑस्ट्रेलिया कामेलबरोण एवं मोनाश विश्वविद्यलय और यूके के एडिनबर्ग विश्वविद्यलय के साथ जारी है। स्वास्थ्य समता और गैर संक्रामक रोग पर नए शोध पर प्रयास जारी है।

इस केंद्र से आज तक 9 पीएचडी स्नातक हुए हैं और 196 एमपीएच छात्रों ने अपने संबंधित कार्यक्रम पूरा किया है।

हम नियमित कार्यक्रमों के अलावा सार्वजनिक स्वास्थ्य के क्षेत्र में अल्पक्लिक पाठ्यक्रम भी प्रदान करता है। इसमें स्वास्थ्य अनुसंधान में नैतिकता जैसे लघु पाठ्यक्रम भी शामिल है।

नई पहल-अनुसंधान कार्यक्रम और सहयोगी कार्यक्रम

भारत एवं इंटोनेशिया में तंबाकू की समाप्ति के संबंध में एक प्रमुख अनुसंधान परियोजना को टूएस के फोगार्टी अंतर्राष्ट्रीय राष्ट्रीय स्वास्थ्य संस्थान केंद्र द्वारा समर्थन मिला था। इस परियोजना का प्रमुख उद्देश्य भारत में पूर्व स्नातक चिकित्सा शिक्षण के लिए तम्बाकू समाप्त मोड्यूल का विकास एवं कार्यान्वयन करना था। हमने दक्षिण भारत में पाँच मेडिकल कॉलजों के विभिन्न विभागों से संबंधित तंबाकू समाप्ति पर 15 मॉड्यूल विकसित और कार्यान्वित किया है। हमने मेडिकल छात्रों को तंबाकू की समाप्ति के समर्थन के लिए 14 नैदानिक वीडियो भी तैयार किए है। शिक्षण मोड्यूल्स के साथ हमने पेशेवर रूप से बनाए गए बीडियोस भी अपलोड किया है। ऑक्सफॉड हेल्थ एलयंस डूके द्वारा समर्थित स्वास्थ्य परियोजना में सामुदायिक हस्तक्षेप एक ओर अन्य महत्वपूर्ण परियोजना के अंतर्गत आता है। कैल विज्ञान एं प्रौद्योगिकी , तिरुवनंतपुरम , चीन, भारत और मेक्सिकोः यह तीन देशों में लागू प्रायोगिक परियोजनाएँ हैं । स्कूलों, कार्यस्थलों , स्वास्थ्य केंद्रों और पड़ोस के समूहों में यह हस्तक्षेप लागू किए गए थे। तीन साइटों में से डेटा का उपयोग लसे करने वाला प्रकाशन इस साल सामने आया है। अब इसने केरल राज्य में एनसीडी हस्तक्षेप को लागू किया है। वर्तमान परियोजना के अनुसार केरल के सभी 14 जिलों में एनसीडी के हस्तक्षेप रहेंगे।

ग्रामीण भारत में उच्च रक्तचार को नियंत्रित करना वैश्विक दीर्घकालिक बीमारियों के वैश्विक गठबंधन और राष्ट्रीय स्वास्थ्य और चिकित्सा अनुसंधान परिषद, ऑस्ट्रेलिया द्वारा समर्थित एक और परियोजना है। यह परियोजना भारत के तीन कार्यस्थलः केरल, आंध्रा प्रदेश के पूर्वी गोदावरी और आंध्रा प्रदेश के ऋषि घाट में लागू किया गया था।

रिसर्च इंस्टीट्यूट ऑन फेक्टर्स इन्क्लुवांसिग वुमेंस रिप्रोडक्टिव चेइंजस’ शीर्षक परियोजना को पोर्ड फाउण्डेशन द्वारा समर्थित किया गया है। परियोजना में तीन अंतर – संबंधित गतिविधियाँ शामिल हैः झारखंड और केरल में प्रसवोत्तर प्रजनन विकल्पों को प्रभावित करने वाले कारकों पर बहु केंद्रित प्रत्याशित शोध का अध्ययन। प्रत्येक दो कार्यस्थल में 500 महिलाओं की पूरी डेटा संग्रह के दो दौर पूरे हो चुके हैं। 2. केरल में विवाहित और अविवाहित युवतियों के बीच यौन और प्रजनन अधिकारों एवं प्रजनन विकल्पों पर छोटे पैमाने पर अध्ययन हुआ है। गतिविधि 3. 2000-2013 के दौरान भारत में यौन प्रजनन स्वास्थ्य और अधिकारों के अनुसंधान पर मानचित्रण और महत्वपूर्ण समीक्षा।

सार्वजनिक स्वास्थ्य शिक्षा के महत्व को ध्यान में रखते हुए भारत में सार्वजनिक स्वास्थ्य चुनौतियों पर एक बैठक का आयोजन 2014 में 4 अक्तूबर से 16 अक्तूबर के दौरान किया गया था। अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान , भारतीय सार्वजनिक स्वास्थ्य सेवा संस्थान, नई दिल्ली, सेंटर फॉर सोशियल मेडिसिन जवहरलाला नेहरू विश्वविद्यालय , नई दिल्ली, पोस्ट ग्राडुवेड इंस्टिट्यूट ऑफ मेडिकल एजूकेशन एंड रिसर्च , चैडीगढ़, टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशियल साईंजेज, मुबई, नेशनल इंस्टीटियूट ऑफ एपिडमॉलजी चेन्नई तथा क्रिश्चयन मेडिकल कॉलज वेल्लूर के सभी वरिष्ठ संकाय सदस्यों ने इस बैठक में भाग लिया।